Saturday, July 10, 2010

कसक


कल मैने कुछ लिख डाला था
और तुम पढ़ने वाले थे
प्रेम की गागर को
समंदर में उड़ेलने वाले थे।

महकती फिजाओं में
प्यार की वादियों में
मैं मचलती सकुचाती आगे बढ़ी
और तुम भी बढ़ने वाले थे
बाहों में सारी कायनात समेटने वाले थे

पर तभी वक्त की ठोकर से
ये हंसीन सपना टूट गया
किनारे तक पहुंच कर कोई
मझधार में डूब गया
पर जीवन भर के लिए एक
कसक छोड़ गया।

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main kaun hun?main kya hun?apne aap ko janne ki talash av bhi jari hai......ishwar ki banai ek kriti hun or apne shrijan ke bare me khud shrata hi bata sakta hai ......